समाजवाद के केन्द्र-बिन्दु थे जनेश्वर जी

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जनेश्वर जी आन्दोलन और संघर्ष के साथियों की बड़ी कद्र करते थे। उन पर यह फर्क नहीं पड़ता था कि वे सत्ता में हैं या विपक्ष में। सामान्यतया मैंने देखा है कि जब सोशलिस्ट भाई सत्ता में आ जाते हैं तो पुराने साथियों से दूरी बना लेते हैं, लेकिन जनेश्वर जी ने कभी किसी सोशलिस्ट साथी से दूरी नही बनाई कभी भी वे ‘‘ब्यूरोक्रेटिक भंवर’’ में नहीं फंसे, उसके ताम-झाम से भी अपने को सुरक्षित रखा। उनका घर डा0 लोहिया के अनुयायियों का घोषित हब (केन्द्र) था। लोहिया के विचारों के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। लोहिया जन्म शताब्दी समारोह की प्रारम्भिक बैठक उन्हीं के आवास पर हुई थी। लोहियावादियों को वे ही जुटा सकते थे। उनका जाना समाजवादी आंदोलन और विचारधारा के लिए अपूर्णनीय क्षति रही।

-राजेंद्र सच्चर

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Rajendra Sachchar

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Rajiv Rai

साक्षात् लोहिया थे ‘‘छोटे लोहिया’’

मेरे राजनीतिक एवं वैयक्तिक जीवन में जनेश्वर जी का जो स्थान है, वो शब्दों की परिधि से परे है, उसे अभिव्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।