समाजवाद के बड़े नेता थे छोटे लोहिया

image

जनेश्वर मिश्र समाजवादी विचारधारा एवं बड़े आन्दोलनों के बड़े नेता था। 1965 में मैं उनके सम्पर्क में आया। 1966-67 में पहली बार विधान सभा का चुनाव लड़ा तो मेरे प्रचार में आये और एक रात डा0 राम मनोहर लोहिया इण्टर कालेज में जमीन पर लेट कर बिताया। वे कभी संघर्ष में पीछे नहीं हटे। मोरारजी देसाई व चैधरी चरण सिंह में मतभेद होने पर जनेश्वर जी मेरे आग्रह पर ही चैधरी साहब का साथ दिया। मिश्र जी ने कभी मेरी बात नहीं टाली। 1992 में पत्नी की तबियत बहुत खराब थी इसके बावजूद सूचना मिलने पर कि मुलायम सिंह यादव जेल चले गये हैं आन्दोलन की कमान संभाल ली। उन्हें पत्नी की मृत्यु की सूचना जेल में ही मिली, किन्तु उन्होंने पैरोल पर छूटने से मना कर दिया। डा0 राम मनोहर लोहिया जनेश्वर जी को बहुत मानते थे। आन्दोलनों की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपते थे, उनका भाषण इतना जोरदार होता था कि सुनने के लिए भारी भीड़ जमा हो जाती थी।

डा0 लोहिया और राजनारायण जी के बताये आदर्शों को जनेश्वर जी आगे बढ़ाने में लगे हुए थे। लोहिया और राजनारायण के विचार, उन्हीं की सादगी, उन्हीं का संघर्ष और उन्हीं के बताये हुए रास्ते पर जनेश्वर जी चल रहे थे। जो गरीब हैं, पिछड़े हैं, मजदूर हैं, किसान हैं, उनके प्रति जो नांइसाफी हो रही है, गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ रही है, उसे पाटने का संकल्प जनेश्वर ने लिया था। आजादी के नेताओं ने भी यही संकल्प लिये थे लेकिन गरीबी-अमीरी की खाई और बढ़ रही है। कई बार जनेश्वर जी ने आंकड़े दिये कि आजादी के समय कितनी गैर-बराबरी थी और अब कितनी है। जब भी मैं दिल्ली जाता था जनेश्वर जी से मिले बिना नहीं रहता था। यदि किसी कारण से नहीं मिल पाता था तो फोन पर जरूर बात होती थी और तमाम मुद्दों पर विचार-विमर्श होता था। जनेश्वर जी अगर ‘‘छोटे लोहिया’’ के नाम से लोगों में प्रसिद्ध थे तो इसलिये कि लोहिया जी के जो विचार थे, उनका संघर्ष था, गरीबों के लिये और उनका जो लक्ष्य था देश के बारे में, अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के बारे में या नौजवानों, महिलाओं और भाषा के बारे में जो विचार लोहिया जी के थे उन्हें जनेश्वर जी आगे बढ़ाने में लगे रहे।

अब जनेश्वर जी नहीं है। पहले डा0 राममनोहर लोहिया और राजनारायण जी और फिर जनेश्वर जी हम लोगों को सम्हाले हुए थे। दिशा निर्देश देते रहते थे, राय देते थे। उनका अभाव बहुत खलेगा। जनेश्वर जी के सपनों, विचारों और उनके संकल्प को लेकर हम लोग आगे चलेंगे।

-मुलायम सिंह यादव

अन्य लेख

Rajendra Sachchar

समाजवाद के केन्द्र-बिन्दु थे जनेश्वर जी

जनेश्वर जी आन्दोलन और संघर्ष के साथियों की बड़ी कद्र करते थे। उन पर यह फर्क नहीं पड़ता था कि वे सत्ता में हैं या विपक्ष में। सामान्यतया मैंने देखा है कि जब सोशलिस्ट भाई सत्ता में आ जाते हैं तो...

Rajiv Rai

साक्षात् लोहिया थे ‘‘छोटे लोहिया’’

मेरे राजनीतिक एवं वैयक्तिक जीवन में जनेश्वर जी का जो स्थान है, वो शब्दों की परिधि से परे है, उसे अभिव्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।